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मौन में छुपी सच्ची खुशी |
आज के दौर में जहां हर कोई कुछ कहने की जल्दी में है, वहां मौन एक अनसुनी शक्ति बनकर हमारे सामने आता है।
मौन कोई कमजोरी नहीं, बल्कि खुद से जुड़ने की सबसे सुंदर कोशिश है।
जब शब्द थमते हैं, तब हमारी आत्मा बोलती है।
तब हम सिर्फ सुनते नहीं, महसूस भी करते हैं।
और असली शांति, इसी एहसास में बसती है।
मौन – एक अनकही बातचीत
जब हम दूसरों के साथ चुपचाप बैठे होते हैं, तो कई बार शब्दों की ज़रूरत नहीं होती।
एक नज़र, एक मुस्कान, एक स्पर्श… सब कुछ कह जाता है।
यह वो पल होते हैं जो दिल को छू जाते हैं – बिना एक भी शब्द कहे।
“मुझे आज भी याद है, एक शाम माँ के साथ बरामदे में बैठा था। हम दोनों चुप थे। सिर्फ चाय की भाप उड़ रही थी और सामने सूरज ढल रहा था। उस एक चुप्पी में मुझे माँ का सारा प्यार महसूस हुआ — बिना कुछ बोले।”
🌿 शब्दों की भीड़ में शांति ढूँढना
आज हम शब्दों के शोर में जी रहे हैं – चैट्स, कॉल्स, मीटिंग्स…
लेकिन क्या कभी गौर किया है?
सबसे ज़्यादा सुकून हमें तब मिलता है जब हम थोड़ी देर के लिए खुद से बातें करते हैं, बिना किसी शब्द के।
मौन हमें रिश्तों में भी गहराई लाने का मौका देता है।
कभी-कभी, किसी का हाथ थाम लेना शब्दों से कहीं बेहतर होता है।
🌿 मौन में खुद को समझने का समय
जब हम चुप होते हैं, हम खुद के ज्यादा करीब होते हैं।
अपने सपनों, अपनी उलझनों, अपनी खुशियों से जुड़ते हैं।
“कुछ साल पहले जब ज़िंदगी बहुत उलझी हुई थी, मैं हर किसी से सलाह लेता रहा। लेकिन असली जवाब मुझे तब मिला, जब मैंने एक शाम खुद के साथ चुपचाप बैठकर आसमान को देखा। वो सन्नाटा जवाब बनकर मेरे भीतर गूंज उठा।”
निष्कर्ष:
शांति वहां नहीं मिलती जहां शब्द हैं, बल्कि वहां मिलती है जहां दिल से दिल का संवाद होता है।
मौन हमें वो ताकत देता है जिसे हम अक्सर बाहर ढूंढते हैं।
थोड़ी देर खुद के साथ रहो, बिना बोले — यकीन मानो, ज़िंदगी कुछ कहने लगेगी।
“क्या आपने कभी मौन में खुद को महसूस किया है?
अगर हाँ, तो उस अनुभव को आज फिर से जीने की कोशिश कीजिए।
और अगर नहीं, तो आज कुछ पल सिर्फ अपने लिए चुराइए — चुपचाप, सुकून से। 🌸”
Nice one thanks for giving valuable knowledge