Cravings ( desire of eating type of food) सिर्फ स्वाद नहीं होती, ये दिमाग और शरीर की भाषा है
हमारा शरीर एक बेहद समझदार मशीन है, और जब उसमें किसी पोषक तत्व की कमी होती है – तो वो हमें संकेत देता है। लेकिन अफ़सोस, आज की फास्ट-फूड और जंक-फूड संस्कृति ने हमारी ये समझ खो दी है। अब हम अपनी हर craving को “cheat day” मानते हैं, जबकि ये cheat नहीं, एक chance होता है अपने शरीर को समझने का।
🥦 क्या हर craving का मतलब कोई कमी है?
ज़रूरी नहीं कि हर craving पोषण से जुड़ी हो। कई बार यह आपकी emotional needs, lifestyle या hormonal changes का नतीजा होती है।
कुछ आम कारण:
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नींद की कमी – मीठा खाने का मन करता है
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तनाव – comfort food जैसे deep-fried items की craving होती है
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Hormonal Imbalance – पीरियड्स से पहले क्रेविंग्स बढ़ जाना
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Dehydration – भूख जैसा लगता है लेकिन असल में पानी चाहिए
👉 इसलिए अगली बार जब आप कुछ खाने को तरसें, खुद से पूछिए:
“क्या मुझे नींद चाहिए, पानी या किसी की बात?”
🧘 Emotional Eating vs Physical Hunger – फर्क कैसे पहचानें?
पॉइंट | फिजिकल भूख | इमोशनल भूख |
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शुरुआत | धीरे-धीरे लगती है | अचानक आती है |
संतोष | खाने के बाद संतोष होता है | खाने के बाद भी guilt या craving बनी रहती है |
फूड चॉइस | कुछ भी चल जाएगा | कोई खास चीज़ चाहिए (जैसे चॉकलेट या पिज्जा) |
असर | शरीर को पोषण | भावनाओं को दबाने की कोशिश |
टिप: एक “क्रेविंग डायरी” रखें, जहाँ आप अपनी भावनाओं और cravings को लिखें – इससे पैटर्न समझना आसान होता है।
🥗 क्रेविंग्स को स्मार्ट तरीके से हैंडल करें – 5 आसान हैक्स
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Water First Rule:
जब भी कोई craving हो – सबसे पहले 1 गिलास पानी पिएं। 50% केस में craving गायब हो जाती है। -
Healthy Swaps:
– चिप्स की craving = भुना चना
– मीठा = खजूर + अखरोट
– आइसक्रीम = फ्रोजन दही
– नमकीन = मखाने + नींबू + सेंधा नमक -
खाना स्किप मत करें:
लम्बे समय तक भूखे रहने से blood sugar गिरता है और शरीर तुरंत energy चाहता है – जो अक्सर मीठे में मिलती है। -
क्रेविंग का समय नोट करें:
रोज़ एक ही समय पर craving आ रही है? शायद वो आपकी दिनचर्या में एक “low energy point” है। -
खुद से सवाल करें:
– क्या मैं थका हुआ हूँ?
– क्या मैं दुखी हूँ?
– क्या मैंने पानी पीया?
– क्या मैंने पूरा खाना खाया?
📘 भारत में पारंपरिक ज्ञान भी समझता था Cravings की भाषा
– गरमियों में खीरा, करेला और आम की craving – क्योंकि शरीर को ठंडक और पाचन की जरूरत होती है।
– सर्दियों में गुड़ और तिल की चाहत – क्योंकि शरीर को iron और warmth चाहिए।
– पीरियड्स से पहले खट्टा या मीठा खाने की craving – hormonal संतुलन का इशारा।
👉 हमारी दादी-नानी के पास कोई nutrition degree नहीं थी, लेकिन वो शरीर की भाषा पढ़ना जानती थीं।
❤️ एक और सच्चा किस्सा – “क्रेविंग ने मेरी लाइफ बदल दी”
रेखा, 42 साल की एक हाउसवाइफ, को 3 महीने तक बार-बार बर्फ खाने की craving होती थी।
उसे लगता था बस गर्मी का असर है। लेकिन जब उसने डॉक्टर से चेकअप करवाया, तो पता चला उसे आयरन की गंभीर कमी है (PICA नाम की condition)।
आज वो खुद कहती है – “अगर मैंने अपनी craving को सीरियसली न लिया होता, तो मुझे ये तकलीफ़ पता ही न चलती।”
🔚 निष्कर्ष – सुनो शरीर को, समझो खुद को
आपका शरीर हर दिन आपसे बात करता है – मीठा, नमकीन, खट्टा, या तला हुआ खाने का मन उसी भाषा की एक लाइन है।
अगर हम ध्यान दें, तो ये cravings कोई कमजोरी नहीं, हमारी सेहत की चाबी बन सकती हैं।
✅ Call to Action (अंतिम भाग):
👉 अगली बार जब कुछ खास खाने का मन करे –
“रुको, सोचो, समझो – और फिर खाओ!”
📝 अगर आपने कभी कोई अनोखी craving महसूस की है जिसका मतलब आपको बाद में समझ आया –
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